बहुत बार हम सब सोचते है की ईश्वर है या नहीं, वास्तव में ये हम नहीं सोचते है, ये हमे सोचने पर विवश करता है हमारे आसपास का वातावरण, जब हम अपने ह्रदय की जगह दिमाग की ज्यादा सुनने लगते है, खासतौर पर उन रिश्तो में जो हमारे आधार होते है, जैसे मनुष्य और ईश्वर का रिश्ता, यह रिश्ता जन्म जन्मो से है और जन्म जन्मो तक रहेगा, शरीर और इसके रिश्ते बदलते रहते है लेकिन आत्मा और परमात्मा का रिश्ता अटूट है और सर्वविदित है।
आईये आपके सन्देश को दूर करने के लिए हम आपको उज्जैन लेकर चलते है, जो महाकाल की नगरी है, जहाँ पर आपको मंदिर में प्रवेश करते ही आपको प्रत्यक्ष भगवान शिव अर्थात महाकाल की महिमा का दर्शन होने लगेगा, श्री रामचरित मानस में भी तुलसी दास जी ने भगवान शिव की महिमा का बखान करते हुए कहा है की "भाविउ मेट सकत त्रिपुरी" और "मेटत कठिन कुअंक भाल के", इस प्रकार से हम कह सकते है की भगवान शिव की महिमा अनंत है।
अब बात करते है काल सर्प दोष की, ये क्या है, ये कुछ नहीं है और बहुत कुछ है, अर्थात भगवान शिव की शरण में है तो ये कुछ नहीं है और अगर भगवान शिव से दूर है तो मृत्यु के समान, अपयश और व्यर्थ की हानि पहुंचाने वाला ग्रहो का संयोग और कुंडली का दोष है।
वास्तव में भगवान शिव की शरण में जाते ही आपकी समस्त समस्याएं ऐसे समाप्त हो जाएगी जैसे मकड़ी ने अपना जाला बापस अपने में समेत लिया हो, आप सोचते सोचते इतने मस्त हो जाओगे की वो समस्या थी क्या जिसने हमे इतना परेशान कर दिया था और खोजने से भी आपको दूर दूर तक समस्या नजर नहीं आएगी, क्युकी श्री राम चरित मानस में कहा भी है "कह हनुमंत विपति प्रभु सोई। जब तव सुमिरन भजन न होई।।
तो उज्जैन की महिमा भगवान महाकाल की कृपा से अतिविशिष्ट है तो बिना किसी लंका दर्शन करिये और मस्त रहिएगा, है उज्जैन में प्रसिद्द पंडित जी है जिनका नाम रमाकांत चौबे है, आप चाहे तो पूजन सम्बन्धी विधि विधान के लिए संपर्क कर सकते है।
Famous Pandit in Ujjain kaal sarp puja in ujjain Kaal sarp dosh puja ujjain Kaal sarp dosh puja in ujjain Kaal sarp Puja Ujjain
आईये आपके सन्देश को दूर करने के लिए हम आपको उज्जैन लेकर चलते है, जो महाकाल की नगरी है, जहाँ पर आपको मंदिर में प्रवेश करते ही आपको प्रत्यक्ष भगवान शिव अर्थात महाकाल की महिमा का दर्शन होने लगेगा, श्री रामचरित मानस में भी तुलसी दास जी ने भगवान शिव की महिमा का बखान करते हुए कहा है की "भाविउ मेट सकत त्रिपुरी" और "मेटत कठिन कुअंक भाल के", इस प्रकार से हम कह सकते है की भगवान शिव की महिमा अनंत है।
अब बात करते है काल सर्प दोष की, ये क्या है, ये कुछ नहीं है और बहुत कुछ है, अर्थात भगवान शिव की शरण में है तो ये कुछ नहीं है और अगर भगवान शिव से दूर है तो मृत्यु के समान, अपयश और व्यर्थ की हानि पहुंचाने वाला ग्रहो का संयोग और कुंडली का दोष है।
वास्तव में भगवान शिव की शरण में जाते ही आपकी समस्त समस्याएं ऐसे समाप्त हो जाएगी जैसे मकड़ी ने अपना जाला बापस अपने में समेत लिया हो, आप सोचते सोचते इतने मस्त हो जाओगे की वो समस्या थी क्या जिसने हमे इतना परेशान कर दिया था और खोजने से भी आपको दूर दूर तक समस्या नजर नहीं आएगी, क्युकी श्री राम चरित मानस में कहा भी है "कह हनुमंत विपति प्रभु सोई। जब तव सुमिरन भजन न होई।।
तो उज्जैन की महिमा भगवान महाकाल की कृपा से अतिविशिष्ट है तो बिना किसी लंका दर्शन करिये और मस्त रहिएगा, है उज्जैन में प्रसिद्द पंडित जी है जिनका नाम रमाकांत चौबे है, आप चाहे तो पूजन सम्बन्धी विधि विधान के लिए संपर्क कर सकते है।
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