उज्जैन जो की महाकाल की नगरी है, और छिप्रा नदी के तट पर बसा हुआ है, यही वो नगरी है जहा पर विक्रमादित्य ने राज्य किया जो की अपनी न्याय पद्द्ति के लिए न केवल पृथ्वी पर अपितु देवलोक में भी सुविख्यात थे, विक्रम वेताल की कहानी तो आप सभी ने सुनी होगी।
आज का विषय है महाकाल भगवान की प्रातःकाल की भष्म आरती में कैसे सम्मिलित हुआ जाय और कैसे देखा जाय, उज्जैन के महाकाल मंदिर के कुछ नियम है जो की भक्तो की सुविधा के लिए बने है, उनमे है भष्म आरती का समय और परिधान।
मूलतः भष्म आरती सुबह के ४ बजे के बाद और ६ बजे के पहले सम्पन्न हो जाती है, और नियमानुसार इस आरती में अंतिम जले मृत शरीर की राख से आरती की जाती है, इस आरती की पराकाष्टा को देखते हुए इसमें सम्भवता महिलाओ एवं बच्चो को सम्मिलिति नहीं किया जाता है।
अब बात करते है इस आरती में कैसे सम्मिलित हो सकते है, इस आरती में सम्मिलिति होने के लिए सबसे पहले आप स्नान करके श्वेत वस्त्र धारण करे और याद रहे किसी भी प्रकार का सिला हुआ वस्त्र पहना कर आना वर्जित है क्युकी यह आरती आपको यह स्मरण कराने के लिए है की शरीर भष्मीभूत हो चूका है और म्रतवषण में किसी भी प्रकार की सिलाई या जेब नहीं है जिसमे आप सांसारिक सम्पदा भरकर जा सके।
इस प्रकार हमने आपको बताया की कैसे सम्मिलित हो और क्या पहने, आगे भगवान महाकाल आपके ऊपर कृपा करे और आपका कल्याण करे।
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