Thursday 13 December 2018

कालसर्प दोष पूजा उज्जैन मध्य प्रदेश

बहुत बार हम सब सोचते है की ईश्वर है या नहीं, वास्तव में ये हम नहीं सोचते है, ये हमे सोचने पर विवश करता है हमारे आसपास का वातावरण, जब हम अपने ह्रदय की जगह दिमाग की ज्यादा सुनने लगते है, खासतौर पर उन रिश्तो में जो हमारे आधार होते है, जैसे मनुष्य और ईश्वर का रिश्ता, यह रिश्ता जन्म जन्मो से है और जन्म जन्मो तक रहेगा, शरीर और इसके रिश्ते बदलते रहते है लेकिन आत्मा और परमात्मा का रिश्ता अटूट है और सर्वविदित है।

आईये आपके सन्देश को दूर करने के लिए हम आपको उज्जैन लेकर चलते है, जो महाकाल की नगरी है, जहाँ पर आपको मंदिर में प्रवेश करते ही आपको प्रत्यक्ष भगवान शिव अर्थात महाकाल की महिमा का दर्शन होने लगेगा, श्री रामचरित मानस में भी तुलसी दास जी ने भगवान शिव की महिमा का बखान करते हुए कहा है की "भाविउ मेट सकत त्रिपुरी" और "मेटत कठिन कुअंक भाल के", इस प्रकार से हम कह सकते है की भगवान शिव की महिमा अनंत है।

अब बात करते है काल सर्प दोष की, ये क्या है, ये कुछ नहीं है और बहुत कुछ है, अर्थात भगवान शिव की शरण में है तो ये कुछ नहीं है और अगर भगवान शिव से दूर है तो मृत्यु के समान, अपयश और व्यर्थ की हानि पहुंचाने वाला ग्रहो का संयोग और कुंडली का दोष है।

वास्तव में भगवान शिव की शरण में जाते ही आपकी समस्त समस्याएं ऐसे समाप्त हो जाएगी जैसे मकड़ी ने अपना जाला बापस अपने में समेत लिया हो, आप सोचते सोचते इतने मस्त हो जाओगे की वो समस्या थी क्या जिसने हमे इतना परेशान  कर दिया था और खोजने से भी आपको दूर दूर तक समस्या नजर नहीं आएगी, क्युकी श्री राम चरित मानस में कहा भी है "कह हनुमंत विपति प्रभु सोई। जब तव सुमिरन भजन न होई।।

तो उज्जैन की महिमा भगवान महाकाल की कृपा से अतिविशिष्ट है तो बिना किसी लंका दर्शन करिये और मस्त रहिएगा, है उज्जैन में प्रसिद्द पंडित जी है जिनका नाम रमाकांत चौबे है, आप चाहे तो पूजन सम्बन्धी विधि विधान के लिए संपर्क कर सकते है।

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Wednesday 12 December 2018

How to See Ujjain's Mahakaleshwar Temple Bhasm Aarti


उज्जैन जो की महाकाल की नगरी है, और छिप्रा नदी के तट पर बसा हुआ है, यही वो नगरी है जहा पर विक्रमादित्य ने राज्य किया जो की अपनी न्याय पद्द्ति के लिए न केवल पृथ्वी पर अपितु देवलोक में भी सुविख्यात थे, विक्रम वेताल की कहानी तो आप सभी ने सुनी होगी।

आज का विषय है महाकाल भगवान की प्रातःकाल की भष्म आरती में कैसे सम्मिलित हुआ जाय और कैसे देखा जाय, उज्जैन के महाकाल मंदिर के कुछ नियम है जो की भक्तो की सुविधा के लिए बने है, उनमे  है भष्म आरती का समय और परिधान।

मूलतः भष्म आरती सुबह के ४ बजे के बाद और ६ बजे के पहले सम्पन्न हो जाती है, और नियमानुसार इस आरती में अंतिम जले मृत शरीर की राख से आरती की जाती है, इस आरती की पराकाष्टा को देखते हुए इसमें सम्भवता महिलाओ एवं बच्चो को सम्मिलिति नहीं किया जाता है।

अब बात करते है इस आरती में कैसे सम्मिलित हो सकते है, इस आरती में सम्मिलिति होने के लिए सबसे पहले आप स्नान करके श्वेत वस्त्र धारण करे और याद रहे किसी भी प्रकार का सिला हुआ वस्त्र पहना कर आना वर्जित है क्युकी यह आरती आपको यह स्मरण कराने के लिए है की शरीर भष्मीभूत हो चूका है और म्रतवषण में किसी भी प्रकार की सिलाई या जेब नहीं है जिसमे आप सांसारिक सम्पदा भरकर जा सके।

इस प्रकार हमने आपको बताया की कैसे सम्मिलित हो और क्या पहने, आगे भगवान महाकाल आपके ऊपर कृपा करे और आपका कल्याण करे।

पंडित रमाकांत जी से संपर्क करे निम्न पुजाओ के लिए : कालसर्प पूजा उज्जैन, कालसर्प दोष निवारण पूजा उज्जैन, सर्प दोष पूजा उज्जैनमंगलनाथ पूजा उज्जैन

Why Kaal Sarp Dosh Puja Ujjain is essential to be performed?

 Kaal Sarp dosh is also known as'Vipareeta Kaalsarp Yog'. According to astrology when the planets (Graha) fall between "Rahu&qu...